Sunday, 16 March 2014

ख्वाबों का सच

दिन के ख्वाबों का सच

सपने हम सब देखते हैं। सपने अकसर रात में ही आते हैं लेकिन कुछ लोग दिन में भी सपने देखते हैं। आमतौर पर सुबह उठने के बाद ब्रश करते समय, नहाते समय, काम करते हुए हम कई बार सपनों की दुनिया में खो जाते हैं। इसी को कहते हैं दिन में ख्वाबों में रहना। लेकिन क्या होता है दिन के सपनों का सच? क्या यह हमारे स्वाभाव को, दैनिक क्रियाओं और हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं?
एक सर्वे के अनुसार लगभग हर व्यक्ति दिन में सपने देखता है और अधिकतर बार हम हमारे समय का 5०% हिस्सा इसमें ही बिता देते हैं। ऐसा सबसे अधिक बार ब्रश करते समय होता है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि दिन में सपने देखना हमें उदासीनता की तरफ ले जाता है, लेकिन हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स के अनुसार अच्छी बातों के सपने देखने से उसका सकारात्मक असर भी होता है लेकिन उसकी दर काफी कम है। इसलिए दावे के साथ यह कह पाना कि दिन में सपने देखना हानिकारक ही है, सही नहीं है। रिसर्च बताती है कि दिन में सपने देखने के दौरान दिमाग कई ऐसी बातों और संबंधों के बारे में सोचता है, जिन पर सामान्य परिस्थितियों में ध्यान नहीं जाता। इस दौरान इनसान का ध्यान अपने आसपास के हालात से परे जाकर अजीबोगरीब चीजों पर लगता है। ऐसे में उन चीजों की भी कल्पना कर ली जाती है, जो वास्तव में होती भी नहीं हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार दिन में ख्वाब देखने वाले लोग समस्याओं को ज्यादा तेजी से सुलझाने की क्षमता रखते हैं। एक शोध के मुताबिक जब दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है तो वह समस्या को सुलझाने के लिए अधिक तेजी से काम करता है। 'प्रोसीडिग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ में प्रकाशित की गई रिपोर्ट के मुताबिक दिवास्वप्न के दौरान मस्तिष्क के अंदरुनी हिस्से का डीफॉल्ट नेटवर्क ज्यादा सक्रिय हो जाता है जो चीजों के बारे में तेजी से सोचने और समस्या के त्वरित निदान में ज्यादा सक्षम होता है। शोध के मुताबिक लोग अपने जीवन का एक-तिहाई हिस्सा दिन में ख्वाब देखते हुए बिताते हैं।

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