आदिवासियों का कल्पवृक्ष
साल वृक्ष एक अर्ध-पर्णपाती और कई सालों तक जीवित रहने वाला वृक्ष है। इस वृक्ष की उपयोगिता प्रमुख रूप से इसकी लकड़ियां हैं, जो अपनी मजबूती के लिए प्रसिद्ध हैं। साल वृक्ष के बीज, जो वर्षा के आरंभ काल में पक जाते हैं। कहा जाता है कि पूर्व समय में अकाल पड़ने पर आदिवासी इसी वृक्ष के फल खाकर जीवित रहते थ्ो। विशेषकर अकाल के समय अनेक जगहों पर भोजन के रूप में काम आते थे। इसीलिए आदिवासियों के लिए यह वृक्ष किसी 'कल्प वृक्ष’ से कम नहीं माना जाता। यूं तो इसका फल ही इतना मीठा होता है कि चीनी खाने के समान स्वाद मालूम होता है वहीं इसकी टहनी से निकलने वाले रस से प्यास भी बुझाने के काम आता है।
यह वृक्ष भारत के कई हिस्सों में पाया जाता है। भारत, बर्मा तथा श्रीलंका में इसकी कुल मिलाकर नौ प्रजातियां हैं, जिनमें 'शोरिया रोबस्टा’ प्रमुख है। हिमालय की तलहटी से लेकर तीन से चार हजार फुट की ऊंचाई तक और उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार तथा असम के जंगलों में यह प्रमुखता से उगता है। इस वृक्ष का विशेष और मुख्य लक्षण यह है कि ये अपने आपको विभिन्न प्राकृतिक मौसमों के अनुकूल बना लेता है।
यह वृक्ष भारत के कई हिस्सों में पाया जाता है। भारत, बर्मा तथा श्रीलंका में इसकी कुल मिलाकर नौ प्रजातियां हैं, जिनमें 'शोरिया रोबस्टा’ प्रमुख है। हिमालय की तलहटी से लेकर तीन से चार हजार फुट की ऊंचाई तक और उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार तथा असम के जंगलों में यह प्रमुखता से उगता है। इस वृक्ष का विशेष और मुख्य लक्षण यह है कि ये अपने आपको विभिन्न प्राकृतिक मौसमों के अनुकूल बना लेता है।
भरी गर्मी में घने जंगलों में जब कंठ सूखने लगे और पीने का पानी न हो तो साल वृक्ष की टहनी से बूंद-बूंद टपकने वाले रस को दोने में एकत्र कर ग्रामीण अपनी प्यास बुझा लेते हैं। यह परंपरागत तरीका वर्षों से आदिवासी अपनाए हुए हैं। जंगलों में कोसा, सालबीज, धूप, तेंदूपत्ता आदि के संग्रह के लिए पहुंचने वाले ग्रामीण आमतौर पर पानी साथ लेकर नहीं जाते। ये लोग जंगल में पहुंचते ही साल वृक्ष के पत्ते का दोना तैयार करते हैं। इसके बाद पत्तों से लदी साल की टहनी काटकर उल्टा लटका देते हैं। कटी हुई टहनी का रस बूंद-बूंद टपकता है, जिससे दोना भर जाता है और ग्रामीण अपनी प्यास बुझा लेते हैं। इसीलिए साल वृक्ष के रस का उपयोग सदियों से किया जा रहा है। साल वृक्ष मानव के लिए बहुत ही लाभदायक है, इससे प्राप्त पत्ते, फल, लकड़ी, धूप, दातून यहां तक पानी भी संग्रहित किया जाता है।
साल वृक्षों की जड़ों के आस-पास कई तरह की सब्जियां पनप जाती हैं। जिसमें मशरूम प्रमुख है। साल वृक्ष के पत्तों से दोने में उतरा रस एक प्रकार से पूर्ण भोजन है, जिसे शर्करा भोजन कहा जा सकता है। इसमें प्रोटीन को छोड़ कर शेष सभी तत्व होते हैं। यह रस जमीन से वृक्ष द्बारा तत्व युक्त जल है। इसके सेवन से शरीर को तरलता मिलती है। कोई हानि नहीं होती है।