Monday 31 March 2014

कल्पवृक्ष....

आदिवासियों का कल्पवृक्ष

साल वृक्ष एक अर्ध-पर्णपाती और कई सालों तक जीवित रहने वाला वृक्ष है। इस वृक्ष की उपयोगिता प्रमुख रूप से इसकी लकड़ियां हैं, जो अपनी मजबूती के लिए प्रसिद्ध हैं। साल वृक्ष के बीज, जो वर्षा के आरंभ काल में पक जाते हैं। कहा जाता है कि पूर्व समय में अकाल पड़ने पर आदिवासी इसी वृक्ष के फल खाकर जीवित रहते थ्ो। विशेषकर अकाल के समय अनेक जगहों पर भोजन के रूप में काम आते थे। इसीलिए आदिवासियों के लिए यह वृक्ष किसी 'कल्प वृक्ष’ से कम नहीं माना जाता। यूं तो इसका फल ही इतना मीठा होता है कि चीनी खाने के समान स्वाद मालूम होता है वहीं इसकी टहनी से निकलने वाले रस से प्यास भी बुझाने के काम आता है।
यह वृक्ष भारत के कई हिस्सों में पाया जाता है। भारत, बर्मा तथा श्रीलंका में इसकी कुल मिलाकर नौ प्रजातियां हैं, जिनमें 'शोरिया रोबस्टा’ प्रमुख है। हिमालय की तलहटी से लेकर तीन से चार हजार फुट की ऊंचाई तक और उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार तथा असम के जंगलों में यह प्रमुखता से उगता है। इस वृक्ष का विशेष और मुख्य लक्षण यह है कि ये अपने आपको विभिन्न प्राकृतिक मौसमों के अनुकूल बना लेता है।
 
भरी गर्मी में घने जंगलों में जब कंठ सूखने लगे और पीने का पानी न हो तो साल वृक्ष की टहनी से बूंद-बूंद टपकने वाले रस को दोने में एकत्र कर ग्रामीण अपनी प्यास बुझा लेते हैं। यह परंपरागत तरीका वर्षों से आदिवासी अपनाए हुए हैं। जंगलों में कोसा, सालबीज, धूप, तेंदूपत्ता आदि के संग्रह के लिए पहुंचने वाले ग्रामीण आमतौर पर पानी साथ लेकर नहीं जाते। ये लोग जंगल में पहुंचते ही साल वृक्ष के पत्ते का दोना तैयार करते हैं। इसके बाद पत्तों से लदी साल की टहनी काटकर उल्टा लटका देते हैं। कटी हुई टहनी का रस बूंद-बूंद टपकता है, जिससे दोना भर जाता है और ग्रामीण अपनी प्यास बुझा लेते हैं। इसीलिए साल वृक्ष के रस का उपयोग सदियों से किया जा रहा है। साल वृक्ष मानव के लिए बहुत ही लाभदायक है, इससे प्राप्त पत्ते, फल, लकड़ी, धूप, दातून यहां तक पानी भी संग्रहित किया जाता है।
 
साल वृक्षों की जड़ों के आस-पास कई तरह की सब्जियां पनप जाती हैं। जिसमें मशरूम प्रमुख है। साल वृक्ष के पत्तों से दोने में उतरा रस एक प्रकार से पूर्ण भोजन है, जिसे शर्करा भोजन कहा जा सकता है। इसमें प्रोटीन को छोड़ कर शेष सभी तत्व होते हैं। यह रस जमीन से वृक्ष द्बारा तत्व युक्त जल है। इसके सेवन से शरीर को तरलता मिलती है। कोई हानि नहीं होती है।
 

Sunday 30 March 2014

पानी में शहर


समंदर की लहरों पर तैरता इक शहर

क्या आपने कभी ऐसे घर की कल्पना की है जो कि पानी के ऊपर हो? शायद नहीं, पर दुनिया में एक ऐसी बस्ती है जो कि पानी के ऊपर बसी है। इस बस्ती में रहने वाले लोगों की संख्या पूरी 7००० है। यह दुनिया की एक मात्र समुद्र पर तैरती हुई बस्ती है जो चाइना में स्थित। इस बस्ती में रहने वाले समुद्री मछुवार हैं जिन्हें टांका कहा जाता है।
 
चीन में कई सदियों पहले टांका कम्युनिटी के लोग वहां के शासकों के उत्पीड़न से इतने नाराज हुए कि उन्होंने समुद्र पर ही रहना तय किया था। करीब 7०० ईसवी से लेकर आज तक ये लोग न तो धरती पर रहने को तैयार हैं और न ही आधुनिक जीवन अपनाने को।
 
चीन के दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में करीब 7००० मछुआरों के परिवार समंदर में तैरती अपने परंपरागत नावों के मकानों में रह रहे हैं। ये घर समुद्र पर तैर रहे हैं। इन विचित्र घरों की एक पूरी बस्ती है। समुद्री मछुआरों की यह बस्ती फुजियान राज्य के दक्षिण-पूर्व की निगडे सिटी के पास समुद्र में तैर रही है। टांका लोग नावों से बनाए घरों में रह रहे हैं इसलिए उन्हें 'जिप्सीज ऑफ द सी’ कहा जाता है। 

चीन में 7०० ईसवी में तांग राजवंश का शासन था। उस समय टांका जनजाति समूह के लोग युद्ध से बचने के लिए समुद्र में अपनी नावों में रहने लगे थे। तभी से इन्हें 'जिप्सीज ऑन द सी’ कहा जाने लगा और वह कभी-कभार ही जमीन पर आते हैं। इस जनजाति के लोगों का पूरा जीवन पानी के घरों और मछलियों के शिकार में ही बीत जाता है। ये जमीन पर जाने से बचने के लिए न केवल फ्लोटिग घर बल्कि बड़े-बड़े प्लेट फार्म भी लकड़ी से तैयार कर लिए हैं।
 
चीन में कम्युनिस्ट शासन की स्थापना होने तक ये लोग न तो किनारे पर आते थे और न ही समुद्री किनारों पर बसे लोगों के साथ वैवाहिक रिश्ते बनाते थे। वे अपनी बोटों पर ही शादियां भी करते हैं। हाल के दिनों में स्थानीय सरकार के प्रोत्साहन के बाद टांका समूह के कुछ लोग समुद्र किनारे बनाए गए घरों में रहने लगे हैं लेकिन अधिकांश लोग तैरते हुए घरों में रह रहे हैं।
 

Saturday 22 March 2014

महाशतक....

क्रिकेट की पिच पर करिअर का महाशतक


भारतीय लोगों के दिलों में अगर किसी खेल को लेकर जुनून है तो वह है क्रिकेट। हालांकि ऐसा भी नहीं कि बाकि के खेलों में लोगों को रूचि नहीं है। लेकिप क्रिकेट को इस देश में खासी अहमिहत दी जाती है। क्रिकेट का रोमांच इन दिनों चरम पर है। ट्वेंटी-2० के मैच तो इन दिनों चल ही रहे हैं, आने वाले दिनों में ट्वेंटी-2० वर्ल्ड कप का जुनून बाकी है। आज क्रिकेट के मुरीदों में सिर्फ स्कूल या कॉलेज के बच्चे ही नहीं, बल्कि अंकल-आंटी, दादा-दादी के अलावा, सड़क के किनारे रेहड़ी-पटरी लगाने वाले लोग भी हैं। क्रिकेट के लिए इसी जुनून और प्यार की वजह से देश का हर युवा इसका हिस्सा बनना चाहता है। अगर करिअर के लिहाज से इस स्पोर्ट्स को देखा जाए तो तो यह सबसे आगे है। इस क्ष्ोत्र में युवाओं के लिए पैसा और शोहरत दोनो ही है। अगर आप में भी क्रिकेट को लेकर दीवानगी तो आप भी इस खेल का हिस्सा बन सकते हैं।

अंपायर का निर्णायक रोल

क्रिकेट मैदान पर केवल ऐसे दो लोग होते हैं जिनके इशारे पर खेल का संचालन होता है। इन दोनों लोगों को अंपायर कहा जाता है। जो लोग क्रिकेट अंपायर बनने की इच्छा रखते हैं, उन्हें इसके लिए क्रिकेट एसोसिएशन द्बारा आयोजित लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। इसके बाद मौखिक व प्रैक्टिकल परीक्षा होती है। इन तीनों चरणों को पार करने के बाद एसोसिएशन आपको स्कूल और कॉलेज लेवल के मैचों में अंपायरिग का मौका देती है।
अंपायरिग के लिए अगला चरण रणजी ट्रॉफी के मैच होते हैं। जिसके लिए आपको रणजी ट्रॉफी की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। यदि किसी अंपायर ने आधिकारिक तौर पर निर्धारित संख्या के मैचों में अंपायरिग कर ली है और उसे 5-1० साल का अनुभव है, तो वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंपायरिग के बारे में सोच सकता है। इसके लिए उसे ऑल इंडिया अंपायर एग्जाम को उत्तीर्ण करना होता है।

कमेंटेटर का रोचक प्रेजेंटेशन

आप जब भी क्रिकेट सुनते या देखते हैं तो कमेंटेटर के हर जबरदस्त बॉल और झन्नाटेदार शॉट पर निकलने वाले कमेंट क्रिकेट देखने का रोमांच बढ़ा देते हैं। अगर आपके पास क्रिकेट की अच्छी जानकारी है और साथ ही किसी घटना को रोचक ढंग से बखान करने की क्षमता भी तो क्रिकेट कमेंटेटर का काम सबसे ज्यादा सटिक है। इसके लिए आपको क्रिकेट के बारे में इस तरह बखान करना होता है कि लोग उसे रोचकता पूर्वक सुन सकें और समझ भी सकें।
इस क्षेत्र में करिअर सवांरने के लिए आप ऑल इंडिया रेडियो क्रिकेट कमेंट्री के लिए प्रतिवर्ष एक परीक्षा आयोजित करता है। इसके लिए आपको ऑल इंडिया रेडियो में आवेदन करना होगा, जहां क्रिकेटरों का एक पैनल घरेलू क्रिकेट मैचों के दौरान कमेंट्री करते हुए आपके परफॉर्मेंस को जज करता है। आप चाहें तो टेलीविजन कमेंटेटेर भी बन सकते हैं। लेकिन इसकी राहें थोड़ी कठिन अवश्य हैं, लेकिन असंभव नहीं। देश में कई स्पोर्ट चैनल कमेंटेटर्स के लिए कॉटेंस्ट आयोजित करते हैं, जो करिअर की शुरुआत के लिए काफी अहम हो सकता है। इसमें प्रोफेशनल डिग्री पाने के लिए आप मुंबई के जेवियर्स इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन में दाखिला ले सकते हैं। यह कॉलेज अनाउंसिग, ब्रॉडकास्टिंग में शॉर्ट टर्म कोर्स कराता है।

स्पोर्ट्स इवेंट मैनेजमेंट

क्रिकेट में हर साल एक देश की टीम दूसरे देश में खेलने के लिए रवाना होती है। ऐसे में खिलाड़ियों, उनके इंडोर्समेंट्स का प्रबंधन करना होता है। इसके लिए खिलाड़ियों के बारे में कॉसेप्ट बनाना, टेलीविजन कार्यक्रमों की स्क्रिप्टिग करना और खेल संबंधी इवेंट्स को आयोजित करना शामिल है। कई प्रशिक्षण संस्थान इस कोर्स को संचालित करते हैं। देश के कई सरकारी और निजी संस्थान इस क्ष्ोत्र में करिअर सवांरने के लिए कोर्स का संचालन करते हैं।

फोटोजर्नलिस्ट

इन सबके अलावा अगर आपको क्रिकेट का अच्छा ज्ञान है, तो आप स्पोर्ट्स जर्नलिज्म में करिअर बना सकते हैं। इस पेशे में जर्नलिज्म की डिग्री आपके लिए मददगार हो सकती है। डिग्री के लिए देश में कई संस्थान हैं, जो स्पोर्ट्स जर्नलिज्म का प्रशिक्षण के साथ-साथ डिग्री प्रदान करते हैं। इसके अलावा, अगर आपकी दिलचस्पी फोटोजर्नलिस्ट बनने की है, तो फोटोजर्नलिज्म का कोर्स भी कर सकते हैं।
इसके अलावा भी क्रिकेट से जुड़े कई क्ष्ोत्र हैं जिनमें आप अपना सुनहरा भविष्य सवांर सकते हैं। इस क्ष्ोत्र में आने के लिए आप स्पोटर््स साइकोलॉजिस्ट के तौर अपनी सेवाएं दे सकते हैं। साथ ही अगर आपको लिखने और फाटो खीचने का अच्छा एक्सपीरिएंस है तो आप फोटोजर्नलिस्ट के तौर पर भी इस फील्ड से जुड़े रह सकते हैं।


Thursday 20 March 2014

चुनावी स्याही.....


तेरा रंग ऐसा चढ़ गया...

आजकल देश में चुनावी माहौल है और अगले ही महीने से मतदान शुरू हो जाएगा। आपने अकसर देखा होगा कि वोट डालने के बाद लोगों के बाएं हाथ की अंगुली में स्याही का निशान दिखाई देता है, जो कई दिनों तक नहीं मिटता। दरअसल यह निशान ही इस बात का सूचक होता है कि आपने अपने मत का प्रयोग कर लिया है। क्या आपको पता है इस चुनावी स्याही को कहां व कैसे बनाया जाता है?
पहली बार न मिटने वाली स्याही का इस्तेमाल तीसरे आम चुनाव में 1962 में हुआ था। इसके निर्माण की कहानी भी काफी रोचक है। 


इस स्याही का फार्मूला भी पेप्सी के फार्मूले की तरह ही गुप्त रखा गया है। यह फार्मूला दिल्ली स्थित नेशनल फिजिकल लैब द्बारा तैयार किया गया है। इसका मुख्य रसायन सिल्वर नाइट्रेट है जोकि पांच से 25 फीसदी तक होता है। बैंगनी रंग का यह रसायन प्रकाश में आते ही अपना रंग बदल देता है व इसे किसी भी तरह से मिटाया नहीं जा सकता है।
 

जिस कंपनी में यह तैयार किया जाता है वह मैसूर के राजा नलवाडी कृष्णराज वाडियार द्बारा 77 साल पहले स्थापित की गई थी। आजादी के बाद राज्य सरकार ने उसका राष्ट्रीयकरण कर दिया। हालांकि महाराजा के परिवार का इस कंपनी में एक फीसदी के करीब हिस्सा है। यह स्याही छोटी-छोटी बोतलों या फायल में उपलब्ध कराई जाती है। इस कंपनी के 77 कर्मचारियों ने इसका उत्पादन शुरू कर दिया है। इसकी 1० मिलीलीटर की बोतल की कीमत 183 रुपए है जिससे 7०० लोगों की उंगलियों पर निशान लगाए जा सकते हैं।
 

इस स्याही को देश में होने वाले चुनाव के लिए ही नहीं बल्कि मालदीव, मलेशिया, कंबोडिया, अफगानिस्तान, मिस्र, दक्षिण अफ्रीका में भी इस स्याही की सप्लाई की जाती है। जहां भारत में बाएं हाथ की दूसरी उंगली के नाखून पर इसका निशान लगाया जाता है वहीं, कंबोडिया व मालदीव में इस स्याही में उंगली डुबानी पड़ती है। बुरंडी व बुर्कीना फासो में इसे हाथ पर ब्रश से लगाया जाता है। जबकि अफगानिस्तान में इसे पेन के माध्यम से लगाया जाता है।
 

गौरैया...

 चिट्ठी न कोई सन्देश कहा तुम चले गए

घरों को अपनी चीं..चीं से चहकने वाली गौरैया अब दिखाई नहीं देती। कभी इस खूबसूरत छोटी चिड़िया का हमारे घरों में बसेरा हुआ करता था। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। गौरैया के अस्तित्व पर छाए संकट के बादलों ने इसकी संख्या काफी कम कर दी है।
गौरैया एक हल्के भूरे व सफेद रंग की छोटी चिड़िया है। इसके शरीर पर छोटे-छोटे पंखों के साथ इसकी चोंच व पैर पीले होते हैं। नर गौरैया की पहचान उसके गले के पास काले धब्बे से होती है। 14 से 16 से.मी. लंबी यह चिड़िया मनुष्य के बनाए हुए घरों के आसपास रहना पसंद करती है। शहरों, कस्बों, गांवों और खेतों के आसपास यह बहुतायत में पाई जाती है। नर गौरैया के सिर का ऊपरी भाग, नीचे का भाग भूरे रंग का होता है। जबकि गला चोंच और आंखों पर काला रंग होता है। नर गौरैया को चिड़ा और मादा को चिड़ी भी कहते हैं।
हर वर्ष 2० मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। इसके पीछे लुप्त हो रही गौरैया को बचाने का संकल्प छुपा हुआ है। दिल्ली जैसे महानगरों में तो गौरैया इस कदर दुर्लभ हो गई है कि ढूंढे से भी ये पक्षी नहीं मिलता है। इसलिए वर्ष 2०12 में दिल्ली सरकार ने इसे राज्य-पक्षी घोषित कर दिया है। मनुष्य की बदलती जीवन-शैली ने गौरैया के आवास, भोजन वाले स्थानों को नष्ट कर दिया इसी वजह से गौरैया ही नहीं, अन्य जीव-जंतु बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। बिजली के तारों का फैलता जाल, फोन व उनके टॉवर इन नन्हे जीवों को नष्ट करने में अहम भूमिका अदा कर रहें हैं। यदि जल्द ही गौरैया को बचाने के ठोस कदम न उठाए गए तो यह पक्षी पूर्ण रूप से विलु’ हो जाएगा।
पक्षी विज्ञानियों के मुताबिक गौरैया की आबादी में 6० से 8० फीसदी तक की कमी आई है। यदि इसके संरक्षण के उचित प्रयास नहीं किए गए तो हो सकता है कि गौरैया इतिहास की चीज बन जाए और भविष्य की पीढ़ियों को यह देखने को ही न मिले। ब्रिटेन की 'रॉयल सोसायटी प्रोटेक्शन ऑफ बर्डस’ ने भारत से लेकर विश्व के विभिन्न हिस्सों में किए गए अध्ययनों के आधार पर गौरैया को 'रेड लिस्ट’ में शामिल किया है।


Sunday 16 March 2014

ख्वाबों का सच

दिन के ख्वाबों का सच

सपने हम सब देखते हैं। सपने अकसर रात में ही आते हैं लेकिन कुछ लोग दिन में भी सपने देखते हैं। आमतौर पर सुबह उठने के बाद ब्रश करते समय, नहाते समय, काम करते हुए हम कई बार सपनों की दुनिया में खो जाते हैं। इसी को कहते हैं दिन में ख्वाबों में रहना। लेकिन क्या होता है दिन के सपनों का सच? क्या यह हमारे स्वाभाव को, दैनिक क्रियाओं और हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं?
एक सर्वे के अनुसार लगभग हर व्यक्ति दिन में सपने देखता है और अधिकतर बार हम हमारे समय का 5०% हिस्सा इसमें ही बिता देते हैं। ऐसा सबसे अधिक बार ब्रश करते समय होता है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि दिन में सपने देखना हमें उदासीनता की तरफ ले जाता है, लेकिन हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स के अनुसार अच्छी बातों के सपने देखने से उसका सकारात्मक असर भी होता है लेकिन उसकी दर काफी कम है। इसलिए दावे के साथ यह कह पाना कि दिन में सपने देखना हानिकारक ही है, सही नहीं है। रिसर्च बताती है कि दिन में सपने देखने के दौरान दिमाग कई ऐसी बातों और संबंधों के बारे में सोचता है, जिन पर सामान्य परिस्थितियों में ध्यान नहीं जाता। इस दौरान इनसान का ध्यान अपने आसपास के हालात से परे जाकर अजीबोगरीब चीजों पर लगता है। ऐसे में उन चीजों की भी कल्पना कर ली जाती है, जो वास्तव में होती भी नहीं हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार दिन में ख्वाब देखने वाले लोग समस्याओं को ज्यादा तेजी से सुलझाने की क्षमता रखते हैं। एक शोध के मुताबिक जब दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है तो वह समस्या को सुलझाने के लिए अधिक तेजी से काम करता है। 'प्रोसीडिग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ में प्रकाशित की गई रिपोर्ट के मुताबिक दिवास्वप्न के दौरान मस्तिष्क के अंदरुनी हिस्से का डीफॉल्ट नेटवर्क ज्यादा सक्रिय हो जाता है जो चीजों के बारे में तेजी से सोचने और समस्या के त्वरित निदान में ज्यादा सक्षम होता है। शोध के मुताबिक लोग अपने जीवन का एक-तिहाई हिस्सा दिन में ख्वाब देखते हुए बिताते हैं।

महिला दिवस

क्यों मनाते हैं महिला दिवस

संसार के रचयिता भगवान ब्रह्मा के बाद इसके सृजन में यदि किसी का योगदान है तो वह नारी का है। अपने जीवन को दांव पर लगाकर एक जीव को जन्म देने का साहस ईश्वर ने केवल नारी को प्रदान किया है। फिर भी इस संसार में उसकी अवहेलना होती रही है। महिलाओं के हक की खातिर हर वर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विश्वभर में मनाया जाता है।
इस दिन संपूर्ण विश्व की महिलाएं जात-पात, भाषा, राजनीतिक, सांस्कृतिक भेदभाव से परे एकजुट होकर इस दिन को मनाती हैं। आज की नारी ने स्वयं की शक्ति को पहचान लिया है और काफी हद तक अपने अधिकारों के लिए लड़ना भी सीख लिया है। आज के समय में स्त्रियों ने सिद्ध किया है कि वे एक-दूसरे की दुश्मन नहीं बल्कि सहयोगी हैं।
इतिहास के अनुसार आम महिलाओं द्बारा समान अधिकार की यह लड़ाई प्राचीन ग्रीस की 'लीसिसट्राटा’ नाम की महिला ने फ्रें च क्रांति के दौरान युद्ध समाप्ति की मांग रखते हुए आंदोलन की शुरुआत की। फारसी महिलाओं के समूह ने वरसेल्स में इस दिन एक मोर्चा निकाला। इसका उद्देश्य युद्ध के कारण महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार को रोकना था।
पहली बार सन् 19०9 में सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका द्बारा पूरे अमेरिका में 28 फरवरी को महिला दिवस मनाया गया था। 191० में सोशलिस्ट इंटरनेशनल द्बारा कोपेनहेगन में महिला दिवस की स्थापना हुई। 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में लाखों महिलाओं ने रैली निकाली। इस रैली में मताधिकार, सरकारी नौकरी में भेदभाव खत्म करने जैसे मुद्दों की मांग उठी। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रूसी महिलाओं द्बारा पहली बार शांति की स्थापना के लिए फरवरी
माह के अंतिम रविवार को महिला दिवस
मनाया गया। जो आगे चलकर 8 मार्च हो गया।
'महिला दिवस’ अब लगभग सभी विकसित और विकासशील देशों में मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक तरक्की दिलाने व उन महिलाओं को याद करने का दिन है जिन्होंने महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए अथक प्रयास किए।


 

Friday 14 March 2014

किरायेदार या मालिक

किराएदार रख रहे हैं या पंगेबाज

मेट्रों शहरों में निरंतर परिवार छोटे होेते जा रहे हैं जबकि घर बड़े। इन में कोई रहने वाला तक नहीं होता। ऐसी स्थित में घर को किराए पर दे दिया जाता है। घर किराए पर देना जहां किराएदार के लिए आशियाने की तलाश पूरी करता है तो वहीं मकान मालिक के लिए यह कमाई का जरिया भी बनता है। हालांकि घर किराए पर देना तो सरल होता है लेकिन कभी-कभी किराएदार से इसे खाली कराना बेहद मुश्किल। इसलिए घर किराए पर देने से पहले सारे जरूरी पहलुओं पर गौर कर लेना चाहिए।

बैकग्राउंड वेरिफिकेशन

घर रेंट पर देने से पहले किराएदार का बैकग्राउंड व उससे जुड़ी सारी जानकारी व डाक्यूमेंट्स की जांच कर लेनी चाहिए। इसके तहत आप किराएदार से रेफरेंस सिर्टफिकेट भी मांग सकते हैं। साथ पर्मानेंट एड्रेस व कांटेक्ट नंबर लेना भी जरूरी है। क्योंकि यह वक्त आने पर आपके बहुत काम आ सकता है। साथ ही इस कड़ी में किराएदार द्बारा उपलब्ध कराए गए डॉक्युमेंट्स को अच्छी तरह से चेक कर लें।
इस सबके बावजूद इस कड़ी का एक और महत्वपूर्ण बिंदु है, जिसके अनुसार पुलिस से भी वेरिफिकेशन करवाना जरूरी है। ध्यान रहे किरायेदार से मकान खाली करवाने में लोकल पुलिस आपका सहयोग तभी कर सकती है जब वह किरायेदार किसी संदिग्ध या गैरकानूनी गतिविधि से जुड़ा हो या कोर्ट के आदेश होने पर ही।

डाक्यूमेंटेशन भी जरूरी

अगर आप कुछ महीनों के लिए प्रॉपर्टी किराये पर दे रहे हैं तो पुलिस वेरिफिकेशन फॉर्म के साथ किराएदार की फोटो, उसके डॉक्यूमेंट्स की कॉपी जैसे पैन कार्ड, लीज अग्रीमेंट और एड्रेस प्रूफ नजदीकी पुलिस स्टेशन में जमा करवाने जरूरी होते हैं। साथ ही 11 महीनों से अधिक के लिए प्रॉपर्टी किराए पर देने पर आपको लीज अग्रीमेंट देना पड़ता है। इस दस्तावेज में एग्रीमेंट की अवधि, खाली न करने पर किराएदार पर लगने वाला जुर्माना आदि जानकारियां दी जाती हैं।

नियम-कानून

मकान मालिक और किराएदार के बीच के संबंध किराएदारी कानूनों के तहत होते हैं। इन कानूनों में प्रावधान हैं कि मकान मालिक कब-कब मकान खाली करवा सकता है। सामान्य रूप से किराएदार शर्तों का पालन करता है। मकान मालिक को स्वयं अथवा अपने परिवार के किसी सदस्य के लिए मकान की जरूरत नहीं है तो वह किराएदार से मकान खाली नहीं करवा सकता है। लेकिन ऐसा कोई कानून नहीं है कि किराएदार से मकान मालिक मकान खाली न करवा सकता हो।

समय पर किराया अदा न करना

अवधि पूरी होने के साथ-साथ किराया न देने या अवैध गतिविधयों में लि’ होने के आधार पर किराएदार को मकान छोड़ने के लिए कह सकते हैं। आपकी प्रॉपर्टी के किसी हिस्से में बिना आपकी मर्जी के बदलाव करने पर भी किरायेदार को घर छोड़ने के लिए कहा जा सकता है। अगर किरायेदार ज्यादा ही अड़ियल हो तो उसके सभी डॉक्यूमेंट्स लेकर इन मामलों के निपटारे के लिए अथॉरिटी की शरण में जा सकते हैं।

कोर्ट की भूमिका

अगर कोई भी पक्ष स्टेट अथॉरिटी के फैसले से असंतुष्ट हो तो वह सिविल कोर्ट की शरण में जा सकता है। कितने समय में फैसला हो जाएगा, इन मामलों में यह कहना बहुत मुश्किल है। सिविल कोर्ट से भी निराशा हाथ लगने पर हाई कोर्ट में अपील की जा सकती है। इतना जरूर ख्याल रखें कि बल के प्रयोग से मकान खाली करवाने की कोशिश आपके ही केस को कमजोर कर सकती है क्योंकि यह गैर-कानूनी है। इसलिए ऐसा कोई कदम न उठाएं।
एक याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कि यदि मकान मालिक को मकान की आवश्यकता है तो किराएदार को उसे खाली करना ही पड़ेगा। किराएदार यह तय नहीं कर सकता कि जो हिस्सा मकान मालिक के पास है वह उसके रहने के लिए पर्याप्त है।

मकान मालिक निम्न कारणों से मकान खाली कराने का अधिकारी होता है-


  • -यदि किराएदार ने पिछले चार से छह माह से किराया अदा नहीं किया हो।
  • - किराएदार ने जानबूझ कर मकान को नुकसान पहुंचाया हो।
  • - किराएदार ने मकान मालिक की लिखित स्वीकृति के बिना मकान या उस के किसी भाग का कब्जा किसी अन्य व्यक्ति को सौंप दिया हो।
  • - यदि किराएदार मकान मालिक के हक से इनकार कर दिया हो।
  • - किराएदार मकान का उपयोग किराए पर लिए गए उद्देश्य के अलावा अन्य कार्य के लिए कर रहा हो।
  • - यदि किराएदार को मकान किराए पर किसी नियोजन के कारण दिया गया हो और किरायेदार का वह नियोजन समाप्त हो गया हो।
  • - किराएदार ने जिस प्रयोजन के लिए मकान किराये पर लिया हो पिछले छह माह से उस प्रयोजन के लिए काम में न ले रहा हो।






Tuesday 11 March 2014

प्रोपर्टी संसार

घर पाने के लिए गलतियों से बचना जरूरी


एक खूबसूरत घर खरीदने का सपना लगभग हर किसी का होता है। छोटे पूंजी वाले लोगों के लिए घर खरीदना थोड़ा मश्किल होता है। अगर आप घर खरीदने के लिए होम लोन के लिए एप्लाई कर रहे हैं, तो जरूरी है कि उसको पास कराने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किया जाए। वैसे भी कम पूंजी वाले लोगों के लिए घर खरीदने में होम लोन बेहद मददगार साबित होते हैं। लेकिन कुछ गलतियों की वजह से कई लोग इन्हें हासिल करने में नाकामयाब रहते हैं। जानते हैं ऐसी ही कुछ गलतियों के बारे में।

लोन प्रोवाइडर के बारे में कम जानकारी

ज्यादातर केस में देखा जाता है कि लोन लेना वाले व्यक्ति को लोन प्रोवाइडर एजेंसीज या संस्थान के बारे में पूरी और सही जानकारी नहीं होती। वे सिर्फ एडवर्टीजमेंट्स में किए गए लुभावने वायदों व आकर्षक ब्याज दरों के प्रस्ताव या अपने दोस्तों व फैमिली वालों की बातों में आकर फैसला कर लेते हैं। जो बाद में उनके लिए घातक साबित होता है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि आप पूरी तरह से रिसर्च करें। रिसर्च के लिए आप इंटरनेट की हेल्प से ले सकते हैं। यहां पर आपको इंट्रेस्ट रेट, होम लोन ऑफर्स के बारे में पूरी इंफार्मेशन मिल जाएगी।

एग्रीमेंट में लापरवाही करना

घर खरीदने की जल्दबाजी में हम अकसर प्रापर्टी या लोन से संबधित दस्तावेजों पर गौर नहीं करते जो बाद में हमारे लिए परेशानी का सबब बनती हैं। हम सब को बचपन से बताया जाता है कि कहीं भी साइन करने से पहले वहां लिखे रूल्स एंड रेगुलेशंस को इत्मीनान से क्रॉस चेक कर लेना चाहिए। एग्रीमेंट के डाक्यूमेंट्स में कोई ऐसा नियम या शर्त हो सकती है जो आपको बिल्कुल मंजूर न हो। इसे पढ़ कर क्लियर हो जाएगा कि आप किस परिस्थिति में पैर रखने जा रहे हैं। यदि आपको किसी शर्त पर आपत्ति है तो उसके बारे में बैंक के साथ बात की जा सकती है। और उसे सुलझाया जा सकता है।

कंप्लीट इंफार्मेशन का न होना

अकसर यह बात सामने आती है कि बायर को घर खरीदने से रिलेटेड ज्यादा जानकारी नहीं होती है। जो उनके और घर के बीच रोढ़ा साबित होती है। इसलिए घर खरीदने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले आपको अपने लेवल पर सही तरीके से खोज करनी चाहिए। किसी और के प्रदान की गई सूचना पर भरोसा करना आपके लिए नुकसानदायक साबित होता है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि अगर आप अपनी मनपसंद प्रापर्टी पाना चाहते हैं तो रिसर्च प्रक्रिया बेहद जरूरी है। इस प्रक्रिया के तहत सबसे पहले उन प्रोजेक्ट्स या एरियाज को प्वाइंट आउट करें जो आपके लिए सही और कंफर्टेबल हों।
होम लोन की बात हो तो ध्यान रखें कि आप होम लोन के बारे में कंप्लीट इंफार्मेशन हासिल करें। जिस तरह से आप बाजार में खरीदारी के वक्त विभिन्न दुकानों पर घूम कर अपनी पसंद तथा जरूरत की चीज की तलाश करते हैं ठीक उसी तरह से आपको उपयुक्त होम लोन की खरीदारी करनी चाहिए।

मंथली किस्तों का क्लियरेंस

कई बार लोग लोन लेने के वक्त मंथली किस्तों का अमाउंट जल्दी भरने के लिए ज्यादा करवा लेते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि वे अपनी मंथली इनकम का 4० से 45 पर्सेंट मंथली किस्त के रूप में अदा कर सकते हैं। हालांकि वे उन खर्चों का ध्यान रखना भूल जाते हैं जो अचानक करने पड़ सकते हैं। इस तरह के गलत आकलन की वजह से आप अपनी क्षमता से अधिक लोन ले लेते हैं। जो बाद में आप पर बोझ बन जाता है। इसलिए यह बेहर जरूरी पहलू है कि आप अपनी मासिक किस्तों के अमाउंट पर ध्यान दें। अगर ऐसा नहीं होता है तो खूबसूरत घर के मालिक बनने का ख्वाब आर्थिक समस्या की वजह से बुरा साबित हो सकता है।

अपनी क्रैडिट रिपोर्ट प्राप्त नहीं करना

बैंक या हाऊसिग फाइनांस कार्पोरेशन के साथ होम लोन संबंधी बातचीत करने से पहले आपको अपनी क्रैडिट रिपोर्ट को किसी तरह की गलती या गड़बड़ के लिए जरूर जांच लेना चाहिए। यदि आपको कोई गलती या गड़बड़ दिखाई दे तो उसे तुरंत चुनौती दें क्योंकि इससे आपका क्रैडिट स्कोर प्रभावित होता है। नकारात्मक क्रैडिट रिपोर्ट आपके लोन लेने की क्षमता पर बेहद बुरा प्रभाव डालती है। अच्छी क्रैडिट रिपोर्ट से आप अधिक लोन लेने के योग्य हो सकते हैं।

एप्लीकेशन में गलत डाटा देना

ज्यादातर होम लोने के एप्लाई करने के लिए हम पहली बार ही जाते हैं। जिस वजह से हमें इस प्रासेस के बारे में सही जानकारी नहीं होती। लोन एप्लीकेशन भरते समय आमतौर पर हम एप्लीकेशन में पूछे गए सवाल के बारे में जानकारी न होने पर उसे खाली छोड़ देते हैं या अनुमान के अनुसार उसमें डाटा फिल कर देते हैं। यह करना हमारे लिए घातक साबित होता है। एप्लीकेशन भरते समय की गई थोड़ी सी भी चूक आपके होम लोन पाने के ख्वाब को मटियामेट कर सकती है। इससे बचने के लिए या तो किसी से परामर्श लें या जानकारी न होने की स्थित में स्वयं बैक या लोन प्रोवाइडर एजेंट या संस्थान जाकर पूरी प्रक्रिया को समझकर ही एप्लीकेशन फार्म को फिलअप करें। ध्यान रहे कि अगर आपके क्रेडिट कार्ड पर अमाउंट बकाया है या पहले से आपने कोई लोन ले रखा है तो यह आपकी होम लोन क्षमता को प्रभावित करेगा। इसलिए एप्लीकेशन में सही डाटा प्रोवाइड करना जरूरी है।

इंश्योरेंस न लेना

इंश्योरेंस किसी भी अनहोनी घटना के वक्त परिवार को बचाने के लिए बेहद मददगार साबित होते हैं। ऐसी किसी भी सिचुएशन से बचने के लिए फैमिली को सिक्योरिटी प्रोवाइड करने के लिए होम लोन का इंश्योरेंस करवाना आवश्यक है। लोन लेने वाले की मृत्यु की स्थिति में लोन की बाकी सारी राशि को बीमा कंपनी अदा कर देती है। इसी प्रकार किसी क्रिटिकल बीमारी पॉलिसी के तहत लोन लेने वाले की आय में किसी गंभीर रोग की वजह से कमी आने पर भी बीमा कं पनी एक तय समय तक किस्तों की अदाएगी करती है।