Sunday, 24 May 2015

तेरे गुम होने का दर्द


तेरे गुम होने का दर्द


क्या आपका अभी तक कुछ गुम हुआ है? फॉर एग्जांपल, दिल, पैसे, मोबाइल, मार्कशीट या रूम, अलमारी, ऑफिस, ड्रॉर की चाबी। और इनमें से किसके गुम होने का सबसे ज्यादा अफसोस हुआ या होता है?
यही सवाल मैनें अपने एक मित्र महोदय से किया। आंसर के तौर पर वे तपाक से बोले दिल गुम हुआ है, जो आज तक नहीं मि
ला। मैंने टेढ़ी निगाह से महोदय को घूरा और बोला अमां मियां जब दिल गुम हो चुका है तो तुम्हारे शरीर में जान क्यों बाकी है? खून पंप होना बंद क्यों नहीं हुआ? तुम मरे क्यों नहीं? अब मित्र महोदय की बोलती बंद, सें‌टियाने लगे।

मैं जान गया, दिल कहीं गुम नहीं होता, हम जबरदस्ती खुद को उसके गुम होने का अहसास कराते हैं, लेकिन आखिर तक वह अहसास हमें होता नहीं। क्योंकि वो सच नहीं होता।

मेरे एक और मित्र महोदय हैं, मैनें भी उनसे यही सवाल दागा। वे काफी रोनी सूरत में बोले भाईजान काफी दिन पहले मेरे पचास हजार रुपए गुम हुए हैं, जो आज तक नहीं मिले। महोदय के हाथ में एक लाल कलर की चमकीली बैग थी। मैंने पूछा इसमें क्या है? तो काफी ना-नुकु र के बाद बताया कि उसमें कुछ-एक लाख रुपए हैं। मैनें कहा, तो फिर गुम कहां हुए वो तो आपके पास ही हैं। बस दुगुने होने के लिए आपसे विदा हुए थ्ो।
कुछ देर मन मशक्कत करता रहा कि इतने में हमारे गंवइले चचा भिटा गए। अब मैनंे उनसे भी यही सवाल ठोंक दिया। वे तो जैसे ताव में आ गए, सांप की भांति फुंफकारते हुए बोले, अरे ससुरा हमरा मोबाइल गुम हुआ है। उसमें ससुर उस लौंडे का नंबर सेव किये रहे हम, जो हमरी बिटेना का मिस काल करके परेशान करत रहा। मैंने मन ही मन सोचा कि इनकी बिटेना तो कल ही गांव की बाजार वाली गली में पड़ोसी लौंडे से बतिया रही थी। खबर है दोनों का चक्कर भी चलता है।
मुझे सही जवाब मिलने की जगह, लोगों के गम की अलग-अलग वजहें मिलीं।
दरअसल कौन सी वस्तु के गुम होने से आपको दुख-अफसोस होगा। यह पूरी तरह आपकी कंडीशंस पर और उस वस्तु की इंपार्टेंस पर डिपेंड करता है।
कुछ ऐसे समझिए 'जरूरी कुछ भी नहीं और जरूरी सबकुछ है।’
कल शाम की ही बात है। आफिस से वापस आते समय रास्ते में कहीं मेरा चाबी का गुच्छा जेब को बिना इत्तिला किए या यूं मान लें कि उससे सांठ-गांठ साध कहीं सरक लिया। गुच्छा खुद तो गया ही अपने साथ आफिस ड्रॉर, रूम और अलमारी की चाबियों को भी बरगला ले गया।
अब मुझे अफसोस के साथ ग्लानि, तकलीफ और बेचैनी हो रही है। यह बेचैनी कब तक रहेगी? शायद आज रात तक, सुबह तक या पूरे दिन तक। लेकिन एक समय खत्म हो ही जाएगी। क्योंकि समय ही सब विपत्तियों और सुखों का जिम्मेदार होता है, और यह ‌िककिसी के लिए भ्‍ाी नहीं रुकता।