Wednesday, 31 July 2013

एक क्लिक और दुनिया मुट्ठी में



वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी : रोमांच को करें कैमरे में कै



कहा जाता है कि एक फोटो दस हजार शब्दों के बराबर होती है। फोटोग्राफी एक कला है जिसमें विजुअल कमांड के साथ-साथ टेक्नीकल नॉलेज भी जरूरी है। फोटोग्राफी एक बेहतर क रिअर ऑप्शन साबित हो सकता है उन सभी छात्रों के लिए जिन्हे नेचर से प्यार है। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी एक ऐसी ही फील्ड है जहां एक तरफ घने जंगलों के बीच खूàंखार जानवरों को अपने कैमरे में कैद करने व उनके अलग-अलग मूवमेंट्स को दुनिया के सामने लाने का रोमांच है तो वहीं दूसरी तरफ इस क्ष्ोत्र में खतरे भी कम नहीं हैं।
आज सरकार व सामाजिक संगठनों द्बारा वन्य जीवों के जीवन को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की वजह से यह क्ष्ोत्र रोजगार की दृष्टि से नये रास्ते खोलने वाला साबित हुआ है। अगर आपकी तमन्ना भी है खतरनाक जानवरों को पास से देखने की और दुनिया को दिखाने की तो आपके लिए यह निसंदेह बेहतर करिअर ऑप्शन साबित हो सकता है।

क्रि एटीविटी व अवसरों से भरा करिअर

फोटोग्राफी के इस क्षेत्र में जानवरों, पक्षियों, जीव-जंतुओं की तस्वीरें ली जाती हैं। एक नेचर फोटोग्राफर ज्यादातर कैलेंडर, कवर, रिसर्च इत्यादि के लिए काम करता है। नेचर फोटोग्राफर के लिए रोमांटिक सनसेट, फूल, पेड़, झीलें, झरना इत्यादि जैसे कई आकर्षक टॉपिक हैं।
वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी को करिअर के तौर पर चुनने से पहले वाइल्ड लाइफ के रूल्स एंड रेगुलेशंस की इंफार्मेशन होना भी बेहद जरूरी है, लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है आपकी क्रिएटिविटी। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी में करिअर को स्टैब्लिश करने के लिए बहुत ज्यादा स्ट्रगल करना होता है, लेकिन इस क्ष्ोत्र में रोजगार के अवसरों की तमाम संभावनाएं मौजूद हैं। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी का क्ष्ोत्र रोमांच से भरा हुआ है।
 

चुनौतियां भी कम नहीं

इस क्षेत्र में पेशेंस की बेहद जरूरत होती है, क्योंकि यहां आने के बाद आप अपने मनमुताबिक नहीं चल सकते। कई बार भयानक जंगल में रात में भी फोटोग्राफी करनी पड़ सकती है। क्योंकि कई विलु’ प्रजाति के वन्यजीव अपनी आदत के मुताबिक रात में ही बाहर निकलते हैं। इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती है खुद को अपडेट करते रहने की। आपको फोटोग्राफी के नए-नए टूल्स और लेंसों से खुद को अवेयर रखना होता है। फोटो कैप्चर करने के लिए सही एंगल का चुनाव भी बेहद जरूरी है। अच्छी फोटो के लिए इंतजार भी एक इस फील्ड में नाम कमाने को अहम हिस्सा है, जो एक दिन से लेकर सालों का हो सकता है। सफल वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है अच्छी आंख, जो प्रकृति की सुंदरता पहचान सके।
 

प्रवेश योग्यता

फोटोग्राफी एक क्रिएटिव क्ष्ोत्र है जिसमें वर्तमान में बेहतर करिअर की संभावनाएं मौजूद हैं। बारहवीं या ग्रेजुएशन करने के बाद इस क्षेत्र में प्रवेश लिया जा सकता है। फोटोग्राफी का कोर्स सरकारी और निजी स्तर पर कई संस्थान कराते हैं। एक अच्छा वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर बनने के लिए बेसिक फोटोग्राफी की जानकारी होना बेहद जरूरी है। हालांकि एक साधारण डिजिटल कैमरा लेकर शौकिया तौर पर शुरुआत की जा सकती है। एक-दो साल का अनुभव हो जाने के बाद डिजिटल एसएलआर खरीद कर प्रोफेशनली इस क्षेत्र में एंट्री की जा सकती है।
 

कोर्स एक रास्ते अनेक

देशी-विदेशी वाइल्ड लाइफ और नेचर मैगजीनों में वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफ्स की मांग हमेशा बनी रहती है। इसके अलावा वन्य जीवों पर काम करने वाले कई संस्थान भी वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर्स को हॉयर करते हैं। नेशनल ज्योग्राफिक, डिस्कवरी और एनीमल प्लेनेट जैसे चैनल भी वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर्स को फोटोग्राफ्स के लिए अप्वाइंट करते हैं।
फ्रीलांसर कॉरपोरेट, वाइल्ड लाइफ मैगजीन्स, नेचर-वाइल्ड लाइफ प्रोड्यूसर्स और टीवी चैनलों के साथ फ्रीलांस के तौर पर भी जुड़ा जा सकता है।
 

सैलरी पैकेज

अभी तक यह क्षेत्र हमारे देश में ज्यादा फेमस नहीं था तो कमाई के साधन भी सीमित थे, लेकिन ग्लोबलाइजेशन के बाद अब इस क्षेत्र में अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। किसी संस्थान से जुड़ने पर आसानी से 1० से 2० हजार रुपए प्रतिमाह की कमाई हो सकती है। एक अनुभवी वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर प्रतिमाह आसानी से एक लाख रुपए कमा सकता है। इसके अलावा कुछ सीनियर फोटोग्राफर्स भी अपने असिस्टेंट रखते हैं, जो न केवल सिखाते हैं बल्कि 1० से 12 हजार रुपए का स्टाइपेंड भी देते हैं।

कोर्स और संस्थान

किसी भी सरकारी या निजी संस्थान से फोटोग्राफी का कोर्स करने के बाद इस क्षेत्र में प्रवेश किया जा सकता है। हालांकि भारत में अभी इस क्षेत्र के लिए कोई स्पेशलाइज्ड कोर्स उपलब्ध नहीं है। फोटोग्राफी में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट दो तरह के कोर्स कराए जाते हैं।

इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर डेवलेपमेंट इन एजुकेशन एंड एडवांस्ड स्टडीज, अहमदाबाद
कॉलेज ऑफ आर्ट्स, तिलक मार्ग, दिल्ली
एजेके मास कम्युनिकेशन सेंटर, जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद,
सेंटर फॉर रिसर्च इन आर्ट ऑफ फिल्म्स ऐंड टेलीविजन नई दिल्ली
दिल्ली स्कूल ऑफ फोटोग्राफी
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फोटोग्राफी, मुंबई



 

Monday, 29 July 2013

शादी की खबरें हैं झूठी

उदय चोपडा और मेरी शादी की खबरें झूठी हैं - नरगिस फाखरी

ब्लैक गाउन में बैठी नरगिस से जब हम उनकी फिल्म 'मद्रास कैफे’ के सिलसिले में मिले तो उन्होंने हिदी को लेकर परेशानी जताई। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि लोगों को फटाफट हिदी में बात करते देख उनकी भी मंशा है कि वह जल्द हिदी में बात करें। फिलहाल इसके लिए वह काफी प्रयत्न भी कर रही हैं। मजे की बात यह है कि हिदी ना आने के बावजूद कैटरीना के नक्शे कदम पर चलती नरगिस ने फिल्म में अपने डायलाग्स खुद बोले हैं। फिलहाल प्रस्तुत है मजाकिया लहजे के साथ एक अलग अंदाज में नरगिस से हुई बातचीत के कुछ अंश।

मद्रास कैफे के बारे में क्या कहेंगी?

मद्रास कैफे एक बेहतरीन फिल्म है। अगर मैं यह कहूं तो कतई गलत नहीं होगा कि लंबे अर्से से मैं एक ऐसी ही फिल्म से जुड़ना चाहती थी जो रियल हो और रियलिस्टिक सब्जेक्ट पर हो। मुझे लगता है 'मद्रास कैफे’ से बेहतर कुछ और नहीं है। जब सुजित सर मेरे पास इस फिल्म को लेकर आए तो मैंनें कहानी सुनते ही उन्हें हां कर दिया और अपने किरदार की तैयारी में लग गई।
इस फिल्म में आप एक वॉर जर्नलिस्ट बनी हैं उसका अनुभव ?
मैं समझती हूं जर्नलिस्ट का काम अपने आप में काफी कठीन होता है उस पर अगर आप वार जर्नलिस्ट हैं तब तो समझिए हर समय आपको जान हथेली पर लेकर चलना होगा। एक तरफ बम के धमाके हैं तो दूसरी तरफ गोलियों की बौछार और इन सबके बीच आपको सारी खबरें अपने लोगों तक पहुंचानी है। इसके अलावा आप इस बात से अंजान हैं कि अगले पल आपके साथ क्या होगा लेकिन मुझे लगता है रिस्क लेकर ही आप आगे बढ सकते हैं।

क्या इसके लिए किसी खास वार जर्नलिस्ट से आपने रेफ्रेंस लिये हैं?

जी नहीं बल्कि मैंनें कई वार जर्नलिस्ट की लाइव फुटेज देखी। मैं उनका नाम नहीं बताना चाहूंगी लेकिन उन महिला जर्नलिस्ट को देखकर मैं इस नतीजे पर पहुंची कि ऐसे माहौल में भी अपनी सहनशक्ति और शांति बनाए रखते हुए कोई कैसे रिपोîटग कर सकता है। इन फुटेज के अलावा मैंने कुछ डाक्युमेंट्री देखी और सुजित सर से भी बात की। इसके लिए सबसे जरूरी चीज थी बाडी लैंग्वेज को दुरुस्त करना वर्ना मेरे जैसी लड़की ऐसे माहौल में सिर्फ डर के मारे चिल्ला सकती है।

निर्देशक सुजित सरकार का कहना है कि इस फिल्म को देखने के बाद लोग नरगिस की 'रॉकस्टार’ को भूल जाएंगे आप क्या कहेंगी ?

मैं क्या कहूंगी उन्होंने कहा है सो वह इस बात का जवाब मुझसे बेहतर देंगे। मैं सिर्फ यह कहना चाहूंगी कि मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मुझे अपने करिअर की शुरुआत में ही अच्छे लोगों के साथ काम करने का मौका मिल गया। जहां तक 'रॉकस्टार’ और 'मद्रास कैफे’ की बात है तो दोनों फिल्में स्टायल, जानर और किरदार के मद्देनजर काफी अलग हैं। मैं समझती हूं सुजित सर के साथ काफी वक्त बिताया है सो वह रियल नरगिस को जान गए होंगे। मुझे खुशी है कि वह मेरे काम को सराह रहे हैं।

'रॉकस्टार’ के बाद क्रिटिक्स ने आपकी काफी कमियां गिनाईं थी वह लम्हा कैसा था ?

'रॉकस्टार’ के बाद क्रिटिक्स की कमियों ने काफी निराश किया था लेकिन पर्दे के पीछे की कहानी कोई नहीं जानता। हर इंसान यहां एक दूसरे को जज करने में लगे रहते है। मेरे लिए हिंदी फिल्मों में काम करना उतना ही मुश्किल था जितना यहां की एक्ट्रेस के लिए किसी चाइनीज फिल्म में काम करना। खासतौर से जब उसे कहा जाए कि चाइनीज सीखने के लिए उन्हें महज एक महीने का वक्त मिलेगा। मेरे लिए यह वाकई बहुत मुश्किल था फिर भी मैंने उसे एक चैलेंज की तरह लिया। मुझे काफी कुछ सुनने को मिला लेकिन ठीक है। जिन्दगी में सब कुछ अच्छा या सब कुछ बुरा नहीं होता। उतार चढ़ाव आते रहते हैं सो इट्स ओके।
हमनें सुना है इस फिल्म के लिए आपने कुछ एक्शन सिक्वेंस भी किया है उसके बारे में बताइए?
एक्शन सिक्वेंस से ज्यादा मुश्किल फिल्म के हेक्टिक शेड्यूल थे। फिर भी मेरे जिन एक्शन सिक्वेंस की चर्चा हो रही है उसका श्रेय सुजित सर को जाता है। उन्होंने सेट इतना खूबसूरत बनवाया था कि मैं भी ठगी सी रह गई। एक घटना का जिक्र करना चाहूंगी। दरअसल हुआ यूं कि मैं सेट में जब दाखिल हुई तो देखा कुछ गरीब लोगों के साथ एक औरत बैठी हुई थी जिसके बाल यहां वहां उड़ रहे थे। मुझे लगा यह कुछ भिखारी लोग हैं जो शायद कुछ मांगने आए हैं। थोड़ा आगे गई तो देखा धुंआ उड़ रहा है और मैं डर गई लेकिन फिर पता चला कि यह सेट है। वह अनुभव इतना रियल था कि उसे देखकर मेरे होश उड़ गए थे।

जॉह्न के बारे में क्या कहेंगी ? इस फिल्म में जॉह्न माचो मैन की जगह सीध-साधे आदमी बनें हैं सो किसी तरह की निराशा है?

बिल्कुल नहीं बल्कि मैं बहुत खुश हूं कि वह एक रियलिस्टिक किरदार निभा रहे हैं। मैंने सुना है इसके लिए उन्होंने अपना कुछ वजन भी घटाया है। जैसा कि मैंने कहा मुझे रियलिस्टिक फिल्में ज्यादा अपील करती हैं क्योंकि तभी किसी किरदार में ढलने के लिए आप मानसिक रूप से खुद को तैयार कर पाते हैं।
बालीवुड में अकसर गासिप का बाजार गर्म रहता है। आपको इसमें कितनी दिलचस्पी है ?
बिल्कुल नहीं, ना मुझे गासिप करना पसंद है और ना सुनना लेकिन अफसोस मैंने जिस प्रोफेशन को चुना है वहां यह सब आम बातें हैं। जर्नलिस्ट अपनी कापी इंट्रस्टिंग बनाने के लिए कुछ भी लिखते हैं। मैं जानती हूं मुझे इन सबके बीच रहना है लेकिन सबसे ज्यादा दुख तब होता है जब मैंने आपको अपना विश्वासपात्र मानते हुए अपने दिल की बात बता दी और आपने उसे मिसकोट कर दिया। तब मुझे ऐसा लगता है कि क्या यही मेरी अच्छाई का सिला है। मैं समझती हूं आपको मसाला चाहिए लेकिन इस तरह का मसाला क्यों जिससे दूसरे दुखी हो जाएं।

हाल ही में आपने 'फटा पोस्टर निकला हीरो’ में एक आइटम नंबर किया है। आपको नहीं लगता करियर के शुरूआत में इस तरह का कदम खतरनाक साबित हो सकता है ?

मेरे लिए आइटम नंबर फन है। जिंदगी में गंभीरता जरूरी है लेकिन इतनी गंभीरता भी नहीं कि हम जीना छोड़ दें। मैं हर लम्हे को जीना चाहती हूं। यह बात तो आप भी जानती हैं कि किसी भी चीज से ज्यादा लगाव दुख देता है सो क्यों उसे इतना बांधकर रखा जाए। मुझे भगवान जो दे रहे हैं मैं उसका लुत्फ उठाना चाहती हूं। मैं किसी तरह के दबाव या प्रतियोगिता के तहत काम नहीं करना चाहती। अगर मैं ऐसा करती हूं तो यह मुझे दुख देगा। लोगों को यह अधिकार है कि वह मेरे फैसलों को जज करें या उन्हें चैलेंज करें लेकिन मैं नहीं करना चाहती। पता नहीं मैं इस बालीवुड में कब तक रहूंगी लेकिन जब तक रहूं खुशी से रहना चाहूंगी।

'मद्रास कैफे के अलावा कोई और फिल्म साइन की है ?

फिलहाल एक फिल्म साइन की है लेकिन उस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। फिलहाल सिर्फ और सिर्फ 'मद्रास कैफे’।
सुना है अगले साल रानी मुखर्जी और आदित्य चोपड़ा की शादी के बाद आपकी और उदय चोपड़ा की शादी होने वाली है?
यह सब झूठी अफवाहें हैं। मैं सच कहती हूं कि ऐसा कुछ भी नहीं है।
                                                                                                 साभार- नेशनल दुनिया





Friday, 5 July 2013

कर लो दुनिया की सैर



पायलट : अब होंगी पक्षियों से बातें


क्या आपने कभी आसमान में उड़ने व पक्षियों से बातें करने का सपना देखा है, अगर नहीं तो अब देखना शुरू कर दीजिए क्योंकि अब ये सपना आप पायलट बनकर साकार कर सकते हैं।
पायलट की गिनती दुनिया के सबसे बेहतरीन जॉब में होती है। देखा जाए, तो आज भी इस क्षेत्र में नए अवसरों की कोई कमी नहीं है। आज तो भारत के आकाश में घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की भरमार होती जा रही है। डीजीसीए के अनुसार अगले पांच वर्षों के भीतर वाणिज्यिक पायलट की आवश्यकता दोगुनी हो जाएगी।
कार्यक्ष्ोत्र
पायलट का कार्य जिम्मेदारी तथा चुनौतियों से भरा हुआ होता है। एयरक्राफ्ट की उड़ान के साथ-साथ इनकी जिम्मेदारियां भी एयरक्राफ्ट की गति से बढ़ती जाती हैं। विमान उड़ाने के साथ-साथ इन्हें प्री-फ्लाइट प्लान्स पर भी गंभीरता से ध्यान देना होता है और सूचनाओं को जुटाना होता है साथ ही एयरक्रॉफ्ट में ईंधन की मात्रा की जानकारी रखना और ट्रैफिक कंट्रोल विभाग व कैबिन क्रू से बराबर संपर्क भी बनाए रहना होता है।
तुरंत निर्णय लेने की क्षमता, घंटों तक कार्य करना, अपने काम को जिम्मेदारी के साथ पूरा करना जैसी चुनौतियां पायलट के सामने होती हैं और यदि आपमें यह क्षमता हैं तो आप भी एक कमर्शियल पालयट के रूप में एविएशन इंडस्ट्री में चमकीला करिअर बना सकते हैं।
प्रवेश योग्यता
कामर्शियल पायलट बनने के लिए कैंडीडेट को भौतिकी व गणित विषयों के साथ बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण होना बेहद जरूरी होता है। इसके अलावा स्टूडेंट की उम्र 17 वर्ष होनी चाहिए। पायलट लाइसेंस प्राप्त करने के लिए उम्मीदवार को डीजीसीए द्बारा संचालित परीक्षा में शामिल होना पड़ता है। इस परीक्षा के तहत एयर नेवीगेशन, एविएशन एयर रेगुलेशन और तकनीकी विषयों से संबंधित थ्योरेटिकल क्वेश्चन पूछे जाते हैं। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कैंडीडेट को शारीरिक तौर से फिट होना भी बहुत जरूरी है।
लाइसेंस भी जरूरी
डीजीसीए की परीक्षा पास करने वाले कैंडीडेट्स को स्टूडेंट पायलट लाइसेंस (एसपीए) प्रदान किया जाता है। एयपीए में निपुण होने के बाद प्रायवेट पायलट लाइसेंस (पीपीए) प्रदान किया जाता है। अगर कैंडीडेट 5०० घंटे की ऑन द जॉब फ्लाइंग करने में सफल हो जाता है, तो वह सीनियर कॉमर्शियल पायलट लाइसेंस प्राप्त करने के योग्य हो जाता है और 15०० घंटे की उड़ान पूरी करने के बाद उम्मीदवार को एयरलाइंस ट्रांसपोर्ट पायलट लाइसेंस हासिल करने की योग्यता प्राप्त हो जाती है। यह सभी लाइसेंस डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) द्बारा प्रदान किए जाते हैं।
अतिरिक्त योग्यता
कामर्शियल पायट बनने के लिए कमिटमेंट की काफी जरूरत होती है। तुरंत निर्णय लेने की क्षमता, घंटों तक कार्य करना, अपने काम को जिम्मेदारी के साथ पूरा करना जैसी चुनौतियां पायलट के सामने होती हैं और यदि आपमें यह क्षमता है, तो आप भी एक कामर्शियल पायलट के रूप बेहतर करिअर बना सकते हैं। पायलट को केवल उड़ान प्रक्रिया से ही भलीभांति परिचित नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे मौसम-विज्ञान, वायु-दाव माडर्न मशीनों की समस्याओं का भी ज्ञान होना चाहिए। एक सफल पायलट बनने के लिए आपके पास मानसिक योग्यता एवं शीध्र निर्णय लेने की क्षमता भी होनी चाहिए।

संभावनाएं हैं अपार
एविएशन के इस क्षेत्र में जहां आप आसमान में उड़ सकते है, वहीं आप इस विकसित और विशाल क्षेत्र के दूसरे विभागों में भी अपने कैरियर की ऊंची उड़ान भर सकते हैं।
भारत में एयर इंडिया के आलावा कई प्राइवेट एयरलाइंस जैसे जेट एयरवेज, सहारा, एयर डेक्कन, स्पाइस जेट, इंडिगो आदि हैं, जिनमें इस क्ष्ोत्र से जुड़े युवा अच्छा रोजगार पा सकते हैं। इसके अतिरिक्त कई इंटरनेशनल एयरलाइंस जैसे यूनाइटेड एयरलाइंस, एयर कनाडा, वर्जिन अटलांटिक, एयर कनाडा, ब्रिटिश एयरवेज जैसे कई नाम हैं, जहां टैलेंटेड पायलट्स के लिए नौकरी की राहे खुली हुई हैं। कॉमर्शियल पायलट लाइसेंस प्राप्त करके सरकारी और गैर-सरकारी दोनों क्षेत्रों में नौकरी के अवसर हैं। वैसे, आज कल बड़े-बड़े बिजनेसमैन अपने निजी एयरक्राफ्ट के लिए पायलट की सर्विस लेते हैं। कॉमर्शियल पायलट ट्रेनिग पूरी करने के बाद वायु सेना में भी करिअर बनाया जा सकता है। एक ट्रेनी पायलट के रूप में करिअर शुरू करने के बाद सीनियरिटी के आधार पर पायलट बन सकते हैं।
सैलरी पैकेज
कॉमर्शियल पायलट की सैलरी काफी अच्छी होती है। इस प्रोफेशन से जुड़े युवाओं की स्ौलरी एयरलाइन और उड़ान के घंटों पर निर्भर करती है। अच्छी सैलरी के अलावा पायलट को ड्यूटी के समय नि:शुल्क आवास सुविधा, परिवार के लिए बिना टिकट विश्व में कहीं भी घूमने की सुविधा समेत कई अन्य सुुविधाएं भी मिलती हैं।

ट्रेनिंग संस्थान
 इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी, रायबरेली, उत्तरप्रदेश।
 राजपूताना एविएशन एकेडमी कोटा (राजस्थान)।
 अहमदाबाद, एविएशन एंड एरोनॉटिक्स, अहमदाबाद।