ऑटोमोबाइल : वाहनो में है सफल जिंदगी
रिजवान खान
माडर्न होते समाज में लोगों की जिंदगी भी माडर्न हो चुकी है, और भागमभाग भी बढ़ चुकी है, जिस कारण लोगों के पास समय की कमी हो रही है। इस भाग-दौड़ भरी जिदगी में मोटर वाहन लगभग हर व्यक्ति के लिए जरूरी हो चुका है। ऐसे में लोग माडर्न वाहनों का प्रयोग करना चाहते हैं। लोगों की वाहनों के प्रति बढ़ती दीवानगी ने ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के क्ष्ोत्र को काफी हद तक पहले से ज्यादा मजबूत और विस्तृत बना दिया है। वाहनो की बढ़ती डिमांड ने इनके मेंटीनेंस, साइज, रख-रखाव, कलर व डिजाइंस के प्रति लोगों को संजीदा कर दिया है। जिस कारण इस प्रोफेशन में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है, और ऐसे प्रोफेशनल्स मांग भी, जो इससे जुड़े कार्यों को सही ढंग से पूरा कर सकें और जरूरी डायरेक्शन कार्य को संजीदगी से अंजाम दे सकें। इस काम को अंजाम देने वाले प्रोफेशनल्स ऑटोमोबाइल इंजीनियर कहलाते हंै।
अवसर हैं अपार
देश में बढ़ रहे वाहनों के कारण आज बाजार में ऑटोमोबाइल इंजीनियरों के लिए रोजगार के उजले अवसर उपलब्ध हैं। इस समय भारत दुनिया भर में अपने टू एवं थ्री व फोर व्हीलर्स समेत हैवी व्हीकल्स की उच्च गुणवत्ता की वजह से नं. वन की श्रेणी में आंका जाता है। भारतीय युवाओं में दोपहिया वाहनो का क्रेज हद से ज्यादा है इस कारण यहां बाइक्स के नये-नये माडल्स की डिमांड में तेजी आई है। पिछले एक दशक में भारत ने इस क्ष्ोत्र में रिकार्ड प्रगति की है। इस दौरान दुनिया की सबसे सस्ती कार नैनो को सफलता पूर्वक बनाने और उसकी रिकार्ड बिक्री से भारत ने इस क्ष्ोत्र में अपना परचम लहराया है। इस प्रोफेशन में लगातार हो रही बड़ोत्तरी ने इस क्ष्ोत्र में करिअर के नये अवसर युवाओं को उपल्ब्ध कराए हैं। देश में लगातार ग्रोथ कर रही इस इंडस्ट्री ने ऑटोमोबाइल की दुनिया को विस्तृत कर दिया है, आज युवा इस क्ष्ोत्र में सफलता की नई इबारत लिख रहे हैं।
फैला है दायरा
भारत स्पोर्ट यूटीलिटी व्हीकल्स के निर्यात के मामले में दुनिया का केंद्ग बिंदु बन रहा है, कम लागत के कारण सस्ते वाहनो को तैयार करने की वजह से यहां के वाहनो का निर्यात यूरोप, साउथ अफ्रीका, साउथईस्ट एशिया में करता है। भारत की छोटी कारें यूरोप में निर्यात की जाती हैं। आटोमोबाइल इंडस्ट्री की ग्रोथ के मामले में भारत आज अन्य देशों की तुलना में बड़ा निर्यातक बन चुका है। डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन के अनुसार भारतीय आटोमोबाइल इंडस्ट्री ने वर्ष 2००० से वर्ष 2०13 तक चार पर्सेंट की ग्रोथ कर ली है। और आने वाले पांच वर्षों में भारतीय छोटे व हल्के वाहनो के बाजार में लगभग 18 पर्सेंट की ग्रोथ हो सकती है।
इस समय विदेशी ऑटोमोबाइल कंपनियां भारत में अपने प्लांट लगा रही हैं, जो कि इस क्ष्ोत्र में युवाओं के लिए रोजगार के नये रास्ते खोल रही हैं, हालांकि इस क्ष्ोत्र में भारतीय कंपनियां टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड, मारूति, महिंद्रा एंड महिंद्रा भी नित नये प्रयोग कर ऑटोमोबाइल से जुड़े युवाओं को नये अवसर उपल्ब्ध करा रही हैं। इंडस्ट्री की ग्रोथ को देखकर साफतौर से कहा जा सकता है, कि इस प्राफेशन में करिअर की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
कार्यक्ष्ोत्र
ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में कंप्टीशन अब पहले से काफी बढ़ गया है। इसलिए यह क्ष्ोत्र बहुत ही चुनौतीपूर्ण बन चुका है। कार या फिर अन्य किसी वाहन को डिजाइन करना इंजीनियर्स के लिए एक सपने की उड़ान की तरह है। इनको डिजाइंस करते समय वाहनों के फीचर्स पर काफी ध्यान देना होता है, और कस्टमर्स की पसंद का ख्याल भी रखना पड़ता है। इनके कार्यक्ष्ोत्र में व्हीकल्स की स्पीड, स्टाइल, कलर, फ्यूल सिस्टम समेत अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को बेहतर करना होता है। आमतौर पर एक सफल ऑटोमोबाइल इंजीनियर ही कार या किसी अन्य वाहन के नए डिजाइन को डेवलप करने का कार्य करते हैं।
प्रवेश योग्यता व संस्थान
यदि आपकी इच्छा ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में करिअर सवांरने की है, तो आप निसंदेह ऑटोमोबाइल इंजीनियरिग के कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। ऑटोमोबाईल इंजीनियरिंग में डिग्री के साथ-साथ डिप्लोमा कोर्सेस भी संस्थानों द्बारा संचालित किए जा रहे हैं। जहां ऑटोमोबाइल इंजीनियरिग के डिग्री कोर्स में बारहवीं गणित विषयों से पास छात्र दाखिला ले सकते हैं। वहीं तीन वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम के लिए छात्रों को दसवीं पास होना जरूरी है। लगभग सभी संस्थानों में इन कोर्सों में एडमीशन के लिए प्रवेश परीक्षा भी आयोजित की जाती है।
बीटेक या बीई में बारहवीं (पीसीएम) के बाद आईआईटी-जेईई या एआईईईई क्वालिफाई करके एडमिशन लिया जा सकता है। आईआईटी, दिल्ली से इंडस्ट्रियल डिजाइनिग में मास्टर डिग्री (दो वर्षीय) हासिल कर सकते हैं। आईआईटी, कानपुर भी इंडस्ट्रियल डिजाइनिग में दो वर्षीय मास्टर डिग्री कोर्स करवाती है। इसके अलावा, इंडस्ट्रियल डिजाइन सेंटर, आईआईटी-मुंबई से इंडस्ट्रियल डिजाइनिग में मास्टर डिग्री (दो वर्षीय) प्राप्त कर सकते हैं। आईआईटी गुवाहाटी से बीटेक इन ऑटोमोबाइल डिजाइनिग के चार वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकते हैं। आप चाहें, तो प्राइवेट इंजीनियरिग इंस्टीट्यूट से भी ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। जबकि महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन ऑटोमोटिव डिजाइन (पीजीडीएडी) कोर्स में एडमिशन लिया जा सकता है।